हे समरथ परमात्मा हे निर्गुण निरंकार।
तू करता है जगत का तू सबका आधार। कण-कण में है बस रहा तेरा रूप अपार। तीन काल है सत्य तू मिथ्या सब संसार। घट घट वासी हे प्रभु अविनाशी करतार। दया से तेरी हो सभी भवसागर से पार। निराकार साकार तू जग के पालनहार। हे बेअंत महिमा तेरी दाता अपरंपार परमपिता परमात्मा सब तेरी संतान। भला करो सब का प्रभु सबका हो कल्याण।
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